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CDP Child Development (बाल विकास और शिक्षा शास्त्र (CDP) के नोट्स)

By Jharkhand News Mar 30, 2024
CTET
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Here are full notes on Child Development and Pedagogy (CDP) in Hindi for the CTET exam:

**बाल विकास और शिक्षा शास्त्र (CDP) के नोट्स**

1. **सिद्धांतिक रूपरेखा**:

– पीयाज के मानोविकास सिद्धांत, एरिक्सन के मनोसामाजिक विकास सिद्धांत, और वायगोत्स्की के सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत जैसे मुख्य सिद्धांतों को समझें।
– स्कीमा, विकास के चरण, प्रायोजनिक विकास क्षेत्र, और महत्वपूर्ण अवधियों जैसे मुख्य अवधारणाओं को परिचित करें।

सिद्धांतिक रूपरेखा बाल विकास और शिक्षा शास्त्र के बहुत महत्वपूर्ण अध्याय है। यहाँ CTET के लिए सिद्धांतिक रूपरेखा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझाने के लिए नोट्स हैं:

1. **पीयाज का मानोविकास सिद्धांत**:
– संज्ञानात्मक विकास: शिशु ज्ञान को प्राप्त करने के लिए अपने अनुभवों से गुजरता है।
– संगणकीय विकास: वे नई जानकारी को अपने पूर्व अनुभव के साथ सम्मिलित करते हैं।

2. **एरिक्सन का मनोसामाजिक विकास सिद्धांत**:
– संतुष्टि या असंतुष्टि: इस चरण में बच्चे विश्वास या संदेह की स्थिति में होते हैं।
– उदारता या लाज और शर्म: बच्चे स्वतंत्रता का अनुभव करते हैं या अस्वीकार के भावना में होते हैं।

3. **वायगोत्स्की का सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत**:
– प्राधान्य क्षेत्र: इसमें शिक्षा और सामाजिक संदेश का महत्व है।
– अंतर्गत विकास क्षेत्र: इसमें बच्चों का सामाजिक संचार, सहायता, और सहभागिता है।

4. **मास्टरी का अध्याय**:
– इस सिद्धांत में परीक्षार्थी अपने अनुभवों और शिक्षा के माध्यम से ज्ञान को प्राप्त करते हैं।
– अनुभव में सीखने के साथ, परीक्षार्थी विभिन्न चरणों में संवेदनशीलता को विकसित करते हैं।

 

2. **विकास के क्षेत्र**:

– मानसिक विकास: जानें कि बच्चे विभिन्न विकास के चरणों में ज्ञान कैसे प्राप्त करते हैं, समस्याओं का समाधान कैसे करते हैं, और विभिन्न विकास के चरणों में कैसे विचार करते हैं।
– सामाजिक और भावनात्मक विकास: बच्चे संबंध बनाते हैं, भावनाओं को नियंत्रित करते हैं, सहानुभूति और नैतिक तर्कनीति कैसे विकसित करते हैं, इसे समझें।
– भाषा विकास: भाषा प्राप्ति के चरणों का अध्ययन करें, जिसमें ध्वनिक, वाक्यात्मक, अर्थात्मक, और साकारिक विकास शामिल है।
– शारीरिक विकास: मोटर कौशल, भौतिक गतिविधि में महत्व, और समग्र विकास को प्रोत्साहित करने में शारीरिक गतिविधियों के महत्व को जानें।

बिना किसी विशेष विषय के, यहाँ एक सारगर्भित रूप में “विकास के क्षेत्र” के बारे में CTET के लिए नोट्स दिए जा रहे हैं:

1. **मानसिक विकास**:
– व्यक्तित्व विकास: बच्चों के संजीवन मानसिक संरचना के प्रमुख पहलू, उनकी सोच और धारणाओं का विकास।
– बौद्धिक विकास: बच्चों के ज्ञान, बुद्धिमत्ता, समस्या समाधान क्षमता और अभिप्रेरणा का विकास।
– भाषा विकास: भाषा अधिगम के प्रक्रिया, वाचन और लेखन कौशल, और भाषा के उपयोग का विकास।

2. **सामाजिक और भावनात्मक विकास**:
– समाजिक विकास: सामाजिक योग्यता, साझेदारी, सामाजिक न्याय और भारतीय समाज में समाजिक भूमिकाओं का अध्ययन।
– भावनात्मक विकास: भावनाओं, भावनात्मक संवेदनशीलता, संवेदना के प्रबंधन, और स्व-प्रेरणा का विकास।

3. **शारीरिक विकास**:
– मानव शारीरिक विकास: शारीरिक गतिविधियों, स्वास्थ्य और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी का परिचय।
– शारीरिक शिक्षा: शारीरिक शिक्षा का महत्व और इसके प्रभावी विधियों का अध्ययन।

4. **प्राकृतिक विकास**:
– प्राकृतिक पर्यावरण और संरक्षण: प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का महत्व और विकास।
– वन्यजीवन: जंगली जीवन का महत्व और उसका संरक्षण।

5. **पर्यावरणीय विकास**:
– समुदाय विकास: सामाजिक-आर्थिक विकास, समुदाय की उपयोगिता, और सामुदायिक समृद्धि का अध्ययन।
– शिक्षा का योजनानुसार विकास: शिक्षा का योजनानुसार विकास और शिक्षा की गुणवत्ता का महत्व।

6. **समाज-सांस्कृतिक विकास**:
– समाज-सांस्कृतिक अध्ययन: समाजिक संरचना, सांस्कृतिक विविधता, और भारतीय समाज की विशेषताएं।
– सामाजिक सम्प्रेषण: सामाजिक मीडिया, संचार के साधन, और सामाजिक जवाबदेही का अध्ययन।

 

3. **शिक्षा के सिद्धांत**:

– व्यवहारवाद: क्लासिकल और संविदानकीय शिक्षा के सिद्धांतों के सिद्धांतों की अवधारणाओं और उनके प्रयोगों को समझें।
– निर्माणवाद: देखें कि विद्यार्थी कैसे अनुभवों और पर्यावरण के साथ ज्ञान का निर्माण करते हैं।
– सामाजिक निर्माणवाद: सीखने में सामाजिक अंतरबोध और सहयोग की भूमिका को पहचानें, जैसा कि वायगोत्स्की ने कहा।

शिक्षा के सिद्धांत बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, खासकर CTET जैसी परीक्षाओं के लिए। यहाँ CTET के लिए शिक्षा के सिद्धांत पर नोट्स हैं:

**शिक्षा के सिद्धांत**

1. **शिक्षा का अर्थ**:
– शिक्षा एक समय-स्थायी प्रक्रिया है जो ज्ञान, कौशल, और मूल्यों का प्रदान करती है।
– यह समाज के उत्तरदायित्व में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और व्यक्ति को समृद्धि और समाज के साथ उत्थान की दिशा में मार्गदर्शन करती है।

2. **शिक्षा के उद्देश्य**:
– शिक्षा के मुख्य उद्देश्यों में ज्ञान की प्राप्ति, कौशलिक विकास, और आदर्श मान्यताओं का प्रशिक्षण शामिल है।
– समाज के लिए नागरिकता, सामाजिक न्याय, और आत्म-समर्पण के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण है।

3. **शिक्षा के सिद्धांत**:
– नैतिकता, इंसानीत, और अध्यात्म जैसे मूल्यों का प्रशिक्षण शिक्षा के मौलिक सिद्धांत है।
– व्यक्तिगतकरण, समग्र विकास, और समाज सेवा भी शिक्षा के महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं।

4. **शिक्षा की अवधारणाएँ**:
– नईटी, नईटिविटी, आधारवाद, प्रगतिशीलता, और सामाजिक न्याय जैसी शिक्षा की महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं।
– शिक्षा की अवधारणाओं में स्वतंत्रता, आजादी, और ज्ञान का स्वीकार करना भी शामिल है।

5. **शिक्षा के तत्त्व**:
– गुरु-शिष्य संबंध, गुणवत्ता, प्रासंगिकता, सहयोग, और अधिगम के तत्त्व शिक्षा के मौलिक तत्त्व हैं।
– अधिगम की शिक्षा, सक्रिय शिक्षा, और समावेशी शिक्षा भी महत्वपूर्ण हैं।

6. **शिक्षा की प्रक्रिया**:
– प्रश्नोत्तरी, उपयोगमार्ग, प्रयोग, और नैतिक विचारशीलता जैसे तकनीकों का उपयोग शिक्षा की प्रक्रिया में होता है।
– अधिगम को समझाने, प्रभावी शिक्षण, और शिक्षा का मूल्यांकन करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

7.शिक्षा का संगठन:

    • समाज, संस्थाएँ, शासन, और अभिभावकों का योगदान शिक्षा के संगठन में महत्वपूर्ण होता है।
    • शिक्षा के संगठन में प्रशासन, प्रबंधन, और नियमन के महत्वपूर्ण तत्त्व होते हैं।

 

4. **व्यक्तिगत विभिन्नताएँ**:

– व्यक्तिगत विभिन्नताओं के कारकों का अध्ययन करें, जैसे जीनेटिक्स, पर्यावरण, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, और संस्कृति।
– विभिन्न शिक्षा आवश्यकताओं को समझें, जिसमें विकलांग विद्यार्थियों, प्रतिभाशाली विद्यार्थियों, और सांस्कृतिक और भाषातांत्रिक विद्यार्थियों की शामिलता है।

व्यक्तिगत विभिन्नताएँ (Individual Differences) एक महत्वपूर्ण विषय हैं जो शिक्षाशास्त्र में विशेष महत्व रखता है। इसे विभिन्न पहलुओं से समझा जा सकता है:

1. **कारकों का परिचय**: व्यक्तिगत विभिन्नताओं के पीछे कई कारक होते हैं, जैसे आवास, परिवार का परिचय, विद्यालयीन परिवेश, और समाज।

2. **विद्यार्थी के प्रकार**: विद्यार्थियों की विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे अविकलांग, अति बुद्धिमान, और भाषा विकलांग।

3. **भौतिक और मानसिक विभिन्नताएँ**: विद्यार्थियों के भौतिक और मानसिक विकलांगताओं का महत्वपूर्ण होना।

4. **सांस्कृतिक विभिन्नताएँ**: विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों से आए विद्यार्थियों की समझ।

5. **समाजिक और आर्थिक परिवेश**: विद्यार्थियों के समाजिक और आर्थिक परिवेश का प्रभाव।

6. **व्यक्तिगत प्रतिभा**: विद्यार्थियों की व्यक्तिगत प्रतिभा का महत्व, जैसे शिक्षा, खेल, कला, और साइंस में।

7. **अध्ययन की आवश्यकताओं का विश्लेषण**: विद्यार्थियों की विभिन्न आवश्यकताओं का विश्लेषण, जैसे शैक्षिक संसाधनों की आवश्यकता, विशेष संस्थानों, और अध्ययन समर्थन के लिए उपकरण।

8. **संभावित चुनौतियाँ**: व्यक्तिगत विभिन्नताओं के संबंध में शिक्षक को संभावित चुनौतियों का सामना करना होता है, जैसे विद्यार्थियों के विभिन्न शैलियों को समर्थित करना।

9. **विवेकशीलता**: शिक्षकों को विवेकशील होना चाहिए और हर विद्यार्थी के विभिन्नताओं का सम्मान करना चाहिए।

10. **नियोजन और अभिव्यक्ति की विधियाँ**: विद्यार्थियों की विभिन्न आवश्यकताओं और प्रतिभाओं के आधार पर अध्यापन की विविध विधियाँ और उपाय।

 

5. **मूल्यांकन **:

– मूल्यांकन के उद्देश्य और प्रकार, सहायक और सारांशी मूल्यांकन के लिए नीतियों को समझें।
– प्रभावशील मूल्यांकन प्रथाओं के सिद्धांतों, वैधता, सत्यपन, और न्याय के सिद्धांतों को समझें।
– शिक्षण को समर्थित करने और छात्र अध्ययन को समर्थित करने के लिए मूल्यांकन डेटा का उपयोग करने के लिए रणनीतियों को सीखें।

यहां CTET के लिए मूल्यांकन (Assessment) के नोट्स हैं:

1. **मूल्यांकन का अर्थ और प्रकार**:
– मूल्यांकन का मुख्य उद्देश्य, तर्क और प्रकारों को समझें।
– स्पष्टता के साथ सामान्य और विशेष मूल्यांकन के बीच अंतर को समझें।

2. **मूल्यांकन के लिए साधारण तकनीकें**:
– प्रश्नोत्तरी, लिखित परीक्षण, प्रैक्टिकल परीक्षण, और प्रोजेक्ट्स जैसे विभिन्न प्रकार के मूल्यांकन के लिए सामान्य तकनीकों का अध्ययन करें।
– प्रत्येक प्रकार के मूल्यांकन के लाभ और प्रतिबंधों को समझें।

3. **मूल्यांकन के उद्देश्य**:
– छात्रों की समझ और कौशलों का मूल्यांकन करने के उद्देश्यों को समझें।
– शिक्षा के लिए मूल्यांकन की महत्वपूर्णता को समझें।

4. **मूल्यांकन के नियम और नैतिकता**:
– मूल्यांकन के नियमों और मूल्यांकन की नैतिकता को समझें।
– समायोजन, निष्पक्षता, और शीर्षकता जैसे मूल्यांकन के मूल नियमों को समझें।

5. **मूल्यांकन डेटा का उपयोग**:
– मूल्यांकन डेटा का उपयोग शिक्षा कार्यों को समर्थन करने, पाठ्यक्रम को समायोजित करने, और छात्रों की प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए कैसे किया जाता है, उसका अध्ययन करें।

6. **मूल्यांकन के प्रभाव**:
– मूल्यांकन के अच्छे और बुरे प्रभावों को समझें, और यह कैसे शिक्षा प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।

7. **मूल्यांकन के टूल्स और तकनीकें**:
– आधुनिक मूल्यांकन उपकरणों और तकनीकों के बारे में जानें, जैसे कि कंप्यूटर-आधारित मूल्यांकन, ऑनलाइन प्रोग्रेसिव टेस्ट, और लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम्स।

8. **मूल्यांकन के अद्यतन निर्देशिकाएँ**:
– वर्तमान मूल्यांकन प्रक्रियाओं, टूल्स, और निर्देशिकाओं को समझें, जिसमें डिजिटल मूल्यांकन, फीडबैक लूप्स, और अधिक शामिल हैं।

 

6. **समावेशी शिक्षा**:

– समावेशी शिक्षा के सिद्धांतों को समझें और सहायक और समावेशी शिक्षा वातावरण बनाने के महत्व को समझें।
– विभिन्न शिक्षा आवश्यकताओं का समर्थन करने के लिए संशोधन और संशोधन को समझें।

यहाँ बाल विकास और शिक्षा शास्त्र (CDP) के CTET के लिए समावेशी शिक्षा पर नोट्स हैं:

**समावेशी शिक्षा के अर्थ**:
– समावेशी शिक्षा एक शिक्षा दर्पण है जो हर विद्यार्थी को समान अवसरों के लिए प्राधिकृत करता है, समाज की सामाजिक सामग्री के साथ खुद को परिभाषित करने में मदद करता है, और सामाजिक समरसता और समावेशीता को प्रोत्साहित करता है।

**समावेशी शिक्षा के लक्ष्य**:
– समावेशी शिक्षा का प्रमुख लक्ष्य है सभी विद्यार्थियों के लिए समान शिक्षा का सुनिश्चित करना, विशेष रूप से उन विद्यार्थियों के लिए जो विभिन्न रूपों में विकलांगता के साथ जन्म लेते हैं।

**समावेशी शिक्षा के सिद्धांत**:
1. **सभी विद्यार्थियों की पहुंच**:
– समावेशी शिक्षा में, हर विद्यार्थी को शिक्षा के साथ जुड़ाव और सामाजिक समृद्धि का अधिकार होना चाहिए।

2. **सामाजिक समरसता**:
– इसका मतलब है कि सभी विद्यार्थी एक-दूसरे के साथ समर्पित और सहयोगी तरीके से काम करें।

3. **न्याय**:
– समावेशी शिक्षा में, हर विद्यार्थी को समान अवसरों की पहुंच मिलनी चाहिए, चाहे वह विकलांग हो या नहीं।

4. **समरसता**:
– समावेशी शिक्षा में, विद्यार्थियों को उनके विशेष आवश्यकताओं के अनुसार समानता दी जानी चाहिए।

**समावेशी शिक्षा के उपाय**:
1. **विशेष शिक्षा**:
– विशेष शिक्षा के केंद्रों को विद्यार्थियों के विशेष आवश्यकताओं के लिए समर्पित किया जाना चाहिए।

2. **व्यावसायिक अनुकूलन**:
– विद्यार्थियों को उनकी आवश्यकताओं और योग्यताओं के आधार पर विभिन्न पाठ्यक्रमों में व्यावसायिक अनुकूलन किया जाना चाहिए।

3. **सहयोगी शिक्षा साधनों का प्रयोग**:
– विभिन्न सहायक शिक्षा साधनों जैसे कि विशेष शिक्षा संबंधित साधनों का प्रयोग किया जाना चाहिए।

4. **सहयोगी शिक्षक**:
– शिक्षकों को विद्यार्थियों की विशेष आवश्यकताओं को समझने और उनका सहयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

 

7. **शैक्षणिक दृष्टिकोण**:

– विभिन्न शिक्षण रणनीतियों के प्रभावी शिक्षण रणनीतियों को समझें, जैसे विभेदन, स्कैफफोल्डिंग, सहकारी शिक्षण, और प्रश्न-आधारित शिक्षण।
– शिक्षण के लिए खेल और हाथों के कार्यों के महत्व को समझें।

यहाँ सीटीईटी परीक्षा के लिए शैक्षणिक दृष्टिकोण पर नोट्स हैं:

**शैक्षणिक दृष्टिकोण (Educational Perspective) नोट्स:**

1. **शिक्षण दृष्टिकोण**:
– शिक्षा का अर्थ, महत्व, और उद्देश्यों की समझ।
– विभिन्न शिक्षा दृष्टियाँ: शिक्षा के प्राथमिक, सेकेंडरी, और उच्च शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण।

2. **शिक्षा का सिद्धांत**:
– शिक्षा के प्रमुख सिद्धांत: नैतिक शिक्षा, ब्राह्मण शिक्षा, प्रगति शिक्षा, और मानवाधिकार शिक्षा।
– नई शिक्षा नीतियाँ और क्रियान्वयन: नीतियों की समझ और उनका अनुप्रयोग।

3. **शिक्षा के सिद्धांत**:
– अध्यापक के कार्य: अध्यापन, प्रेरणा, मार्गदर्शन, और मूल्यांकन।
– विभिन्न शिक्षा दृष्टियों की समीक्षा: व्यावहारिक, संरचनात्मक, और अंधतापूर्वक शिक्षा।

4. **विद्यार्थी के केंद्रित शिक्षा**:
– विद्यार्थी के विकास की धारणा: विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा के मूल तत्व।
– विद्यार्थी की शैक्षिक आवश्यकताएं: शैक्षिक अवसरों की पहचान और उनका सम्मान।

5. **शिक्षण प्रक्रिया**:
– अध्यापन विधियाँ: व्यावसायिक और अनुभवाधिक अध्यापन प्रक्रिया।
– विवेकपूर्ण अध्यापन: उचित पाठ्यक्रम, उपकरण, और माध्यम का चयन।

6. **शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया**:
– शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया: स्थिरीकरण, निवारण, समाधान, और प्रतिपुष्टि।
– विभिन्न अधिगम साधन: उपकरण, लेखन, उदाहरण, और गतिविधियाँ।

7. **शिक्षण साधन**:
– शिक्षण साधनों के प्रकार: सामग्री, उपकरण, और तकनीक।
– विविध शिक्षण साधन: शिक्षक-केंद्रित और छात्र-केंद्रित साधन।

8. **शैक्षणिक मूल्यांकन**:
– शैक्षणिक मूल्यांकन के तत्व: प्रारंभिक, बीच का, और अंतिम मूल्यांकन।
– मूल्यांकन के प्रकार: सारांशिक, रूपांतरित, और अनुकरण।

 

8. **शैक्षिक मनोविज्ञान**:

– प्रेरणा सिद्धांतों को समझें और स्व-नियंत्रित सीखने और स्व-नियंत्रित सीखने को प्रोत्साहित करने के लिए रणनीतियों को सीखें।
– शिक्षा कक्ष प्रबंधन की भूमिका को समझें जिसमें एक सकारात्मक और योग्य शिक्षण वातावरण बनाया जाता है।

यहां आपके लिए शैक्षिक मनोविज्ञान (Educational Psychology) के नोट्स हैं जो सीटीईटी की तैयारी के लिए उपयोगी होंगे:

1. **शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषा**:
– शिक्षा मनोविज्ञान विद्यार्थियों के संज्ञान, भावना, और शैक्षिक क्रियाओं की समझ के लिए एक अध्ययन है।

2. **अधिगम की सिद्धांत**:
– व्यवहारवाद: इसके अनुसार, शिक्षा एक प्राप्तिवादी प्रक्रिया है जो प्रेरित करती है और प्राप्ति को प्रभावित करती है।
– निर्माणवाद: यह कहता है कि विद्यार्थी अपने ज्ञान को अपने अनुभवों से निर्मित करते हैं।
– सामाजिक-निर्माणवाद: इसके अनुसार, शिक्षा सामाजिक सामंजस्य और सहयोग के माध्यम से होती है।

3. **अधिगम सृजन**:
– बहुलयांकन: विविध प्रणालियों का उपयोग करके विषय को समझाना और याद करना।
– संगठितीकरण: विषय को अनुक्रमित करने और व्यवस्थित करने की क्षमता।
– समर्पण: शिक्षा के प्रतिबद्धता और ध्यान में स्थिरता।

4. **शिक्षा कार्यक्रम विकास**:
– पाठ्यक्रम डिज़ाइन: अध्ययन सामग्री और मानकों का निर्धारण और योजना।
– अध्यापन-अधिगम प्रक्रिया: विद्यार्थियों को शिक्षण देने और सीखने के लिए विभिन्न उपायों का अनुकरण।

5. **मनोविज्ञानीय अद्ययन**:
– अधिगम समस्याओं का अध्ययन: शिक्षा में आगंतुकों की समस्याओं की समझ और उनका समाधान।
– व्यक्तित्व विकास: विद्यार्थियों की व्यक्तित्व विकास की प्रक्रिया।

6. **शैक्षिक मोटिवेशन**:
– स्वाध्याय: विद्यार्थियों की अंतर्मुखी और प्रेरित क्रियाओं का उत्तेजन।
– योजना-अनुष्ठान: विद्यार्थियों को समर्थ बनाने और समर्थ करने की प्रेरित क्रिया।

7. **व्यावसायिक नैतिकता**:
– शिक्षक की नैतिक जिम्मेदारी: शिक्षा के क्षेत्र में नैतिक मूल्यों और दृष्टिकोणों का मानना और अनुसरण।
– सीमा: शिक्षा और स्व-नियंत्रण के बीच सीमाओं की समझ।

8. **शिक्षा विज्ञान में नवीनतम प्रवृत्तियां**:
– डिजिटल शिक्षा: तकनीकी उपकरणों का उपयोग और शिक्षा में नवीनतम प्रवृत्तियां।
– समावेशी शिक्षा: विभिन्न विद्यार्थियों की आवश्यकताओं को समझने और समर्थन करने की प्रक्रिया।

 

9. **पेशेवर नैतिकता और मूल्य**:

– नैतिक निर्देशिकाओं और शिक्षकों के लिए पेशेवर मानकों को समझें, जिसमें निष्ठा, अखंडता, और विविधता के मूल्यों को समझें।
– निष्कर्षित करने के लिए आत्मगतता, पेशेवरता, और छात्र-शिक्षक संबंधों में गोपनीयता, पेशेवर नैतिकता, और सीमाओं का महत्व समझें।

10. **वर्तमान प्रवृत्तियाँ और मुद्दे**:

– शिक्षा में वर्तमान प्रवृत्तियों और मुद्दों, जैसे डिजिटल साक्षरता, समावेशी शिक्षा नीतियों, और शिक्षा पर सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों का प्रभाव, पर अद्यतन रहें।

ये नोट्स सीटीईटी परीक्षा की तैयारी के लिए बाल विकास और शिक्षा शास्त्र में मुख्य विषयों का व्यापक अवलोकन प्रदान करते हैं। इन नोट्स को अधिक पढ़ाई और प्रैक्टिस प्रश्नों के साथ सम्मिलित करें ताकि आपकी समझ को मजबूत किया जा सके।

 

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